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________________ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूची ६६० वक्ष० ३ सूत्र ६८ ङ- खण्ड प्रपात गुफा के उत्तर द्वार का उद्घाटन ६६ गंगा के पश्चिमी किनारे पर भरत के आदेश से स्कंधावार का निर्माण ख- भरत का नवनिधि आराधनार्थ अष्टम तप ग- नवनिधियों की प्राप्ति, अष्टान्हिका महोत्सव घ. भरत का विनीता के लिए प्रस्थान ६७ क- भरत के वैभव का वर्णन ख- विनीता के समीप भरत का अष्टम तप ग- भरत का विनीता प्रवेश घ- सेनापति आदि राज्याधिकारियों तथा श्रेणी प्रश्रेणि का योग्य सत्कार सन्मान ङ- भरत चक्रवर्ती की विजय-यात्रा समापन्न ६८ १. क- भरत का राज्याभिषेक ख- अभिषेक मण्डप और अभिषेक पीठ का निर्माण ग- अष्टम तप घ. सेनापति-यावत्-पुरोहित अन्य सभी नगर प्रमुखों द्वारा भरत का अभिषिचन ङ- सोलह हजार देवियों द्वारा मुकुट और माला पहनाना च- बारह वर्ष पर्यन्त विजय महोत्सव मनाते रहने की घोषणा छ- अभिषेक के पश्चात् तप का पारणा ज- भरत चक्रवर्ती द्वारा सबका यथोचित आदर-सत्कार ६८ २. क- चक्रादि चार रत्नों का उत्पत्ति स्थान-आयुधशाला ख- छत्रादि तीन रत्नों का " श्रीघर ग- सेनापति आदि चार रत्नों का " विनीता घ- अश्व-गज आदि का " वैताढ्य पर्वत ङ- सुभद्रा स्त्री रत्न का उत्पत्ति स्थान उत्तर विद्याधर श्रेणी भरत चक्रवर्ती का वैभव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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