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पद २४,२५ सूत्र १ ६६४
प्रज्ञापना-सूची ख- उच्चगोत्र के आठ भेद
ग- नीच गोत्र के " २० अंतराय कर्म पाँच भेद २१-२८ क-अष्ट कर्मों की जघन्य उत्कृष्ट स्थिति
ख- " का अबाधाकाल' २६-३४ एकेन्द्रियों-यावत्-पंचेन्द्रियों के अप कर्म की जघन्य उत्कृष्ट
बन्ध स्थिति उपशमादि भावों की अपेक्षा अष्ट कर्म की जघन्य उत्कृष्ट स्थिति बांधने वालों का कथन चार गतियों में अधकर्म की उत्कृष्ट स्थिति बाँधने वालों का कथन
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चतुर्विशतितम कर्म बंध पद १-३ क- अप कर्म प्रकृतियों के नाम
ख- चौबीस दण्डक में अकर्म प्रकृतियाँ ग- चौबीस दण्डक में (एक जीव या अनेक जीवों द्वारा) एक कर्म
प्रकृति के बंधकाल में अन्य प्रकृतियों के बंध की संभावित संख्या
१
पंचविंशतितम कर्म वेद पद क- अष्ट कर्म प्रकृतियों के नाम ख- चौवीस दण्डक में अष्टकर्म प्रकृतियां ग- चौवीस दण्डक में (एक जीव द्वारा या अनेक जीवों द्वारा) एक
कर्म प्रकृति के बंधकाल में अन्य कर्म प्रकृतियों के वेदन की संभावित संख्या
१ अनुभव अयोग्य कर्म स्थिति
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