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________________ पद १ सूत्र ६८-७५ ६ ६६ कर्मार्थों के सिल्पार्यों के ७० क भाषा आर्यों का ख- ब्राह्मी लिपि के ज्ञानार्यों के ज ७१ ७२ दर्शनार्यों के दो भेद ७३ सराग दर्शनार्यों के दस भेद १ ७४ क- वीतराग दर्शनार्यों के दो भेद ख- उपशान्त कषाय वीतराग दर्शनार्यों के दो भेद ग 11 "" ६३१ अनेक भेद 31 घ- क्षीण कषाय वीतराग दर्शनार्यों के दो भेद ङ - क्षमस्थ क्षीण कषाय वीतराग दर्शनार्थों के दो भेद च- स्वयं बुद्ध छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग दर्शनार्यों के दो भेद छ- प्रथम समय स्वयं बुद्ध छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग दर्शनार्यों के दो भेद 19 एक भेद अठारह भेद पांच भेद 33 31 - बुद्ध बोधित छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग दर्शनार्थों के दो भेद ञ - ७५ क चारित्रायों के Jain Education International " " > 17 ट- केवली क्षीण कषाय वीतराग दर्शनार्थों के दो भेद ठ- सजोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग दर्शनार्यों के दो भेद ड 13 द- अजोगी केवली क्षीण कषाय वीतराग दर्शनार्यों के दो भेद ण " ख - सराग चारित्रार्यों के ग- सूक्ष्म संप राय सराग चारित्रार्यों के घ 37 १. निसर्गरुचि - यावत् — धर्मरुचि प्रज्ञापना- सूची " "" For Private & Personal Use Only 11 12 दो भेद " "" 37 www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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