________________
'पद १ सूत्र ५४-५७
च - श्वापदों के
इनके संक्षेप में छ- गर्भजों के
ज- स्थलचरों की कुलकोटी
५४ क परिसर्पों के
ख- उरगों के
ग- अही के
घ- दर्वीकरों के
ङ. मुकलियों के
च- अजगरों का
छ- आसालिक का
"
37
17
"
""
73
"1
६२६
Jain Education International
दो भेद
तीन भेद
दो भेद
चार भेद
दो भेद
अनेक भेद
33
५५ क- महोरगों के
ख
ग
घ
19
ङ- उरपरिसर्पों की कुलकोटी ५६ क- भुजपरिसर्पों के अनेक भेद
"
का आयु
में दृष्टि
में अज्ञान
एक भेद उत्पत्ति स्थान'
के शरीर का जघन्य उत्कृष्ट प्रमाण
ख -
"J
ग- गर्भजों के तीन भेद घ- भुजपरिसर्पों की कुलकोटी
असंज्ञी
अनेक भेद
शरीर का प्रमाण
संक्षेप में दो भेद गर्भजों के तीन भेद
संक्षेप में दो भेद
५७ क- खेचरों के चार भेद ख- चर्म पक्षियों के अनेक भेद
१. यह श्रासालिक असंशीतिर्यंच पंचेन्द्रिय है ।
प्रज्ञापना- सूची
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org