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________________ ६२८ पद १ सूत्र ४७-५३ प्रज्ञापना-सूची ४७ क- त्रीन्द्रिय जीवों के अनेक भेद ____ ख- " संक्षेप में अनेक भेद शेष सूत्र २० के ग-से-च तक के समान त्रीन्द्रिय जीवों की कुलकोटी ४८ क- चतुरिन्द्रिय जीवों के अनेक भेद ख- " संक्षेप में दो भेद शेष सूत्र २० के ग-से-च तक के समान चतुरिन्द्रिय जीवों की कुलकोटी ५० क- नैरयिकों के सात भेद . ख- " संक्षेप में दो भेद ५१ पंचेन्द्रिय तिर्यंचों के तीन भेद ५२ क- जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचों के पांच भेद ख- मत्स्यों के अनेक भेद ग. कच्छपों के पांच भेद घ. ग्राहों के पांच भेद ङ- मगरों के दो भेद च- सँसुमारों का ___ एक भेद इनके संक्षेप में दो भेद छ- गर्भजों के तीन भेद ज- जलचरों की कुलकोटी क- स्थलचरों के दो भेद ख. चतुष्पद स्थलचरों के चार भेद । ग- एकक्षुर वालों के अनेक भेद घ- दो सूर बालों के अनेक भेद ङ- गंडीपदों के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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