SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 638
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जीवाभिगम-सूची ६१० सूत्र १८६-१८८ र- सूरवरावभास द्वीप का , ल- ,, समुद्र का , व- देवद्वीप का श- देवोद समुद्र का स- स्वयंभूरमण द्वीप का , ह- , समुद्र का , १८६ एक नाम के द्वीप-समुद्रों का संख्या परिमाण १८७ क- लवण समुद्र के पानी का आस्वाद ख- कालोद " " ग- पुष्करोद " " घ- वरुणोद " , ङ- क्षीरोद " , च- घृतोद " छ- क्षोतोद " ज- शेष समुद्र के झ- प्रत्येक रसवाले' चार समुद्र अ- उदक रसवाले तीन समुद्र क- बहुत मच्छ-कच्छ वाले तीन समुद्र ख- अल्प मच्छ कच्छ वाले शेष समुद्र ग- लवण समुद्र में मत्स्यों की कुलकोटी घ- कालोद " " ङ. स्वयंभूरमण " " च. लवण समुद्र में मत्स्यों की जघन्य उत्कृष्ट अवगाहना छ- कालोद " ज- स्वयम्भूरमण समुद्र में १८८ १. नामानुसार पदार्थ के रसवाले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy