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________________ जीवाभिगम सूची ६०४ छ- कालोद समुद्र और पुष्कर वर द्वीप का परस्पर स्पर्शं ज- कालोद समुद्र और पुष्करवर द्वीप के जीवों की एक दूसरे में उत्पत्ति - कालोद समुद्र नाम होने का हेतु ञ - काल - महाकाल देव, स्थिति ट- कालोद समुद्र की नित्यता ठ- कालोद समुद्र में चन्द्र सूर्य 33 22 27 >" 23 १७६ क- पुष्करवर द्वीप का संस्थान ख ग "" 21 11 महाग्रह नक्षत्र तारा "" पुष्करवर द्वीप का वर्णन का चक्रवाल- विष्कम्भ की Jain Education International परिधि की पद्म वेदिका, वनखण्ड के चार द्वार घ ङ - त्र के प्रत्येक द्वार का अन्तर छ- कालोद समुद्र और पुष्करवर द्वीप के प्रदेशों का परस्पर स्पर्श " सूत्र १७६ ज- कालोद समुद्र और पुष्करवर द्वीप के जीवों की एक दूसरे में उत्पत्ति झ- पुष्करवर द्वीप नाम होने का हेतु - पद्म और महापद्म वृक्ष, पद्म और पुंडरीक देवों की स्थिति, पुष्करवर द्वीप की नित्यता For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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