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________________ सूत्र १५२ ५६७ जीवाभिगम-सूची ख- जम्बूपीठ का आयाम, विष्कम्भ, परिधि, मध्यभाग का और अन्तिम भाग का बाहल्य ग- मणिपीठिका का आयाम-विष्कम्भ और बाहल्य घ- जंबू-सुदर्शन वृक्ष की ऊँचाई उद्वेध, स्कंध का विष्कम्भ. मध्य भाग का और सर्वोपरि भाग का विष्कम्भ. जंबू-दर्शन वृक्ष का वर्णन २५२ क- जम्बू-सुदर्शन की चार शाखायें ख- शाखाओं पर भवन, उनका आयाम, विष्कम्भ और ऊँचाई आदि ग- भवन द्वारों की ऊँचाई विष्कम्भ आदि घ- जम्बू-सुदर्शन के उपरिभाग में सिद्धायतन. सिद्धायतन का आपाम-विष्कम्भ, ऊँचाई, सिद्धायतन के द्वारों की ऊँचाई, विष्कम्भ आदि देव छंदक, जिनप्रतिमा आदि. ङ- पार्ववर्ती अन्य जम्बू सुदर्शनों की ऊँचाई आदि च- अनाधृत देव और उसका परिवार छ- जम्बू-सुदर्शन वृक्ष के चारों और तीन वनखण्ड ज. प्रत्येक वनखण्ड में भवन झ- चार नन्दा पुष्करिणियाँ, उनका आयाम-विष्कम्भ आदि ज- नन्दा पुष्करिणी के मध्य प्रासाद की ऊँचाई आदि. ट- सर्व पुष्करिणियों के नाम ठ. एक महान कूट कूटों की ऊँचाई विष्कम्भ आदि कूटों पर सिद्धायतन का वर्णन ङ- जम्बू-सुदर्शन वृक्ष पर अष्टमंगल ढ- जम्बू-सुदर्शन वृक्ष के बारह नाम ण- जम्बू-सुदर्शन नाम का हेतु त- अनाधृत देव की स्थिति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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