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________________ जीवाभिगम-सूची ५६४ सूत्र १३६-१४१ ख- मणिपीठिका का आयाम-विष्कम्भ और बाहल्य ग- देवछंदक का आयाम-विष्कम्भ और उसकी ऊँचाई घ- जिन प्रतिमाओं की संख्या और ऊँचाई ङ- जिन प्रतिमाओं का वर्णन च- नाग, यक्ष, भूत आदि की प्रतिमाओं की संख्या छ- घंटा, चंदनकलश, भृङ्गारक आदि की संख्या ज- अष्टमङ्गल सोलह रत्नभय १३६ क- उपपात सभा का वर्णन ख- मणिपीठिका का आयाम विष्कम्भ और बाहल्य ग- देवशयनीय का वर्णन घ- ह्रद का आयाम-विष्कम्भ और उदवेध ङ- अभिषेक सभा का वर्णन च- मणिपीठिका का आयाम-विष्कम्भ और बाहल्य छ- सिंहासन वर्णन ज- अलंकारिक सभा वर्णन झ- व्यवसाय सभा वर्णन अ- पुस्तक रत्न वर्णन ट- मणिपीठिका का आयाम-विष्कम्भ और बाहल्य १४० क- विजयदेव की उत्पत्ति व पर्याप्ति ख- विजयदेव का मानसिक संकल्प ग- सामानिक देवों का आगमन घ- जिन प्रतिमाओं और सक्थियों की अर्चा के कर्तव्य का निर्देश ङ- विजयदेव के अभिषेक का विस्तृत वर्णन १४१ क- विजयदेव का शृङ्गार वर्णन ख- विजय देव का पुस्तक-स्वाध्याय ग- विजय देव का सिद्धायतन में आगमन, जिन प्रतिमाओं की अर्चा का वर्णन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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