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________________ सूत्र १२६-१३३ ५६१ जीवाभिगम-सूची १२६ क- वनखण्ड का चक्रवाल विष्कम्भ ख- वनखण्ड का विस्तृत वर्णन [शब्दोपमा वर्णन-अष्ट रस, षट्दोष, एकादस अलंकार, अष्टगुण] १२७ क- वनखण्ड में विविध वापिकायें ख- वापिकाओं के सोपान, तोरण ग- वापिकाओं के समीप पर्वत घ. पर्वतों पर विविध आसन शिलापट ङ- वनखण्ड में अनेक प्रकार के लतागृह च- लतागृहों में आसन, शिलापट छ- वनखण्ड में विविध प्रकार के मण्डप ज- वनखण्ड में विविध प्रकार के शिलापट झ- शिलापटों पर देव-देवियों की क्रीड़ा ज- पद्मवर वेदिका पर बने वनखण्ड का विष्कम्भ ट- वनखण्ड में देव-देवियों की क्रीड़ा जंबूद्वीप के चार द्वार १२६ क- जम्बूद्वीप के विजयद्वार का स्थान ख- " " की ऊँचाई ग- " " का विष्कम्भ के कपाट रचना १३०.१३१ का विस्तृत वर्णन विजय देव के सामानिक देवों के भद्रासन की अग्रमहीषियों के भद्रासन की तीन परिषदों के " की सात सेनापतियों के " की आत्मरक्षक देवों के " १३३ विजयद्वार के उपरिभाग का वर्णन १२८ سه Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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