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________________ जीवाभिगम-सूची ५७८ सूत्र ५६-६३ ग तिर्यंच योनिक नपुंसक पांच प्रकार के घ मनुष्य योनिक नपुंसक तीन प्रकार के ५६ क नपुंसकों की जघन्योत्कृष्ट स्थिति ख नैरयिक नपुंसकों की ग तिर्यंच योनिक नपुंसकों की , घ मनुष्य योनिक नपुसकों की , नपुसंकों का संस्थिति काल ङ नैरयिक नपुंसकों का संस्थिति काल च तिर्यंच योनिक नपुसकों का छ मनुष्य योनिक ,, , ___ नपुसंकों का जघन्योत्कृष्ट अन्तर काल ज नपुसंक से पुनः नपुसक होने का जघन्योत्कृष्ट अन्तर काल झ नरयिक नपुसंक से पुनः नै रयिक नपुसक होने का जघन्योत्कृष्ट ___अन्तर काल अ तिर्यंच योनिक नपुसक से पुनः तिर्यंच योनिक नपुंसक होने का जघन्योत्कृष्ट अन्तर काल ट मनुष्य योनिक नपुसक से पुन: मनुष्य योनिक नपुसंक होने का जघन्योत्कृष्ट अन्तर काल ६० नैरयिक तिर्यंच और मनुष्य योनिक नपुसकों का अल्प-बहुत्व ६१ क नपुसक बेदनीय कर्म की बंध स्थिति ख , ., का अबाधा काल ग , का स्वभाव ६२ स्त्री, पुरुष और नपुसकों के अल्प-बहुत्व के नो सूत्र ६३ क स्त्रीत्व, पुरुषत्व और नपुसकत्व पर्याय का जघन्योत्कृष्ट संस्थिति काल ख स्त्री, पुरुष और नपुसक पर्याय का जघन्योत्कृष्ट अन्तर काल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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