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जीवाभिगम-सूची
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सूत्र ३७-३६
ख- संमूछिम चतुष्पद स्थलचर दो प्रकार के हैं ग- संमूर्छिम चतुष्पद स्थलचरों के तेवीस द्वार घ- संमूछिम स्थलचर परिसर्प दो प्रकार के हैं
संमूछिम उरग स्थलचर परिसर्प चार प्रकार के हैं च- " सर्प अनेक प्रकार के हैं छ- " दर्वी (फण) कर सर्प अनेक प्रकार के हैं ज- " मकूलीकर सर्प अनेक प्रकार के हैं संमूछिम अजगर अनेक प्रकार के हैं
आसालिक महोरग अनेक प्रकार के हैं
" संक्षेप में दो प्रकार के हैं भुजग परिसर्प अनेक प्रकार के हैं
" संक्षेप में दो प्रकार के खेचर चार प्रकार के हैं चर्मपक्षी अनेक प्रकार के हैं रोमपक्षी समुद्गकपक्षी " "
विस्तृतपक्षी " " संक्षेप में दो प्रकार के हैं त- सम्मूर्छिम स्थलचर परिसर्प के तेवीस द्वार ३७ गर्भज तिर्यंच पंचेन्द्रिय तीन प्रकार के हैं ३८ क- गर्भज जलचर पांच प्रकार के हैं
ख- " संक्षेप में दो प्रकार के हैं
ग- गर्भज जलचरों के तेवीस द्वार ३६ क- गर्भज स्थलचर दो प्रकार के हैं
ख- " चतुष्पद चार प्रकार के हैं
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