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कथानुयोग प्रधान औपपातिक उपाङ्ग
अध्ययन
उद्देश
उपलब्ध पाठ
गद्य सूत्र
पद्य सूत्र
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११६७ श्लोक प्रमाण
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मोहविजय पंचक
जहा मत्थय सूइए, हंताए हम्मइ तले । एवं कम्माणि हम्मंति, मोहणिज्जे खयं गए ॥ सेणावतिमि निहते, जहा सेणा पणस्सति । एवं कम्माणि नस्संति, मोड़णिज्जे खयं गए ॥ धूमहीणो जहा श्रग्गी, खीयति से निरिंधणे । एवं कम्माणि खीयंति, मोहणिज्जे खयं गए ॥
सुक्क मूले जहा रूक्खे, सिंचमाणे न रोहति । एवं कम्मा ण रोहति, मोहणिज्जे खयं गए ॥ पुर्ण कुरा । भवंकुरा ||
जहा दड्ढाणं बीजाणं, न जायंति
कम्मबीए
दडढेसु, न जायंति
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