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________________ विपाक - सूची श्रु ०२ अ०७ ख- पूर्वभव - इषुकार नगर, ऋषभदत्त गाथापति, पुष्पदत्त अणगार को दान शेष सुबाहु के समान ५२५ चतुर्थ सुवासव अध्ययन ३६ क - उत्थानिका, विजयपुर, नन्दन वन, अशोक यक्ष, वासव दत्त राजा कृष्णा देवी, सुवासव कुमार, भद्रा प्रमुख पांच सो कन्याओं से पाणि ग्रहण ख पूर्व भव- कौशाम्बी नगरी, धनपाल राजा, वैश्रमण भद्र अणगार. को दान, शेष सुबाहु के समान पंचम जिनदास अध्ययन ३७ क- उत्थानिका, सौंगधिका नगरी, नीलाशोक उद्यान, सुकाल यक्ष अप्रतिहत राजा, सुकन्या देवी, महचन्द कुमार, अरहदत्ता भार्या जिनदास पुत्र ख- पूर्वभव, मध्यमिका नगरी, मेघरथ राजा, सुधर्म अणगार को दान, शेष सुबाहु के समान षष्ठ वैश्रमण अध्ययन ३८ - उत्थानिका, कनकपुर, श्वेताशोक उद्यान, वीर भद्र यक्ष, प्रिय चन्द्र राजा, सुभद्रादेवी, वैश्रमण कुमार, श्रीदेवी प्रमुख पांचसो कन्याओं के साथ पाणि ग्रहण, धनपति पुत्र ख- पूर्वभव – मणिवत्ता नगरी, मित्र राजा, संभूतविजय अणगार को दान, शेष सुबाहु के समान सप्तम महब्बल अध्ययन ३६ क - उत्त्थानिका, महापुर, रक्ताशोक उद्यान, रक्तपात यक्ष, बल राजा, सुभद्रा देवी, महाबल कुमार, रक्तवती प्रमुख ५०० कन्याओं से पाणि ग्रहण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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