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________________ विपाक - सूची ग- शकट का सर्वस्व छीन लेना और घर से निकाल देना घ- शकट का सुदर्शना से स्नेह ५१८ ङ. - सुसेण का सुदर्शना के साथ शकट को देखना च - महचंद राजा की सम्मत्ति से शकट का प्रतप्त स्त्रीमूर्ति के साथ आलिंगन का दण्ड देना, पूर्णायु, मृत्यु, नरक गति २३ क शकट की आत्मा का भव- भ्रमण ख- शकट और सुदर्शना की आत्मा का राजगृह के मातंग कुल में बहन-भाई होना. दोनों का पति-पत्नी के रूप में जीवन बिताना ग- शकट का गुप्तचर बनना. मृत्यु के पश्चात् भव भ्रमण घ- वाराणसी में सेठ के घर जन्म यावत् - महाविदेह से मोक्ष प्राप्त करना. उपसंहार. Jain Education International श्रु० १ अ०५. पंचम बृहस्पति अध्ययन [ यज्ञ हिंसा तथा परस्त्री गमन का फल ] २४ क- उत्थानिका कौशाम्बी नगरी, चन्द्रोत्तरण उद्यान, श्वेत भद्र यज्ञ शतानीक राजा, मृगावती देवी. उदायन. कुमार पद्मावती देवी [उदायन की पत्नी] चार वेदों में प्रवीण सोमदत्त पुरोहित वसुदत्ता भार्या, वृहस्पतिदत्त पुत्र ख- भगवान महावीर का समवसरण, गौतम गणधर का भिक्षाचरी के लिये जाना, राजमार्ग में प्राण दण्ड का दृश्य देखना ग- पूर्वभव पृच्छा. जम्बूद्वीप, भरत, सर्वतोभद्र नगर जितशत्रु राजा महेसर दत्त पुरोहित [ चार वेदों का ज्ञाता ] घ- जितशत्रु राजा की समृद्धि के लिये शान्ति होम करना क - महेश्वर दत्त की पूर्णायु. मृत्यु. नरक गति ख महेश्वर दत्त की आत्मा का बृहस्पति दत्त के रूप में जन्म ग- उदायन राजकुमार के साथ बृहस्पतिदत्त की मंत्री घ- शतानीक की मृत्यु उदायन का राज्याभिषेक For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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