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________________ प्रश्न० सूची श्रु०१ अ०२ सू०७० ढ- वनस्पतिकाय की हिंसा के प्रयोजन ण- हिंसक की मानसिक स्थिति त- हिंसा के कुछ और प्रयोजन क- हिंसक वन्य जातियां ख- म्लेच्छ जातियां ग- हिंसा का फल घ- हिंसकों की नरक गति ङ- नरक का वर्णन च- विविध प्रकार की नरक वेदना छ- नरक के पश्चात् हिंसकों की तिर्यंच गति ज- तिर्यंच गति में विविध प्रकार की वेदना झ- नरक से निकलने के पश्चात् हिंसकों की मनुष्य गति अ- मनुष्य गति में विविध प्रकार की वेदना ट- प्रथम अधर्म द्वार का उपसंहार द्वितीय मृषावाद अध्ययन-एक उद्देशक मृषावाद का स्वरूप मृषावाद के तीस नाम ७ क- विविध प्रकार के व्यापारों के लिए मृषावाद ख- कुदर्शनों की सिद्धी के लिये मृषावाद ग- दुराचारों के सेवन के लिये " घ- चार प्रकार के प्रमुख मृषावाद ङ- प्रशंसा के लिए मृषावाद च- शस्त्र विक्रय के लिये मृषावाद छ- हिंसा के लिये मृषावाद ज- विविध लौकिक संस्कारों के लिये मृषावाद झ- सावध भाषा का प्रयोग ही मृषावाद है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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