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________________ व०६ अ०१ ४६१ . अन्तकृद्दशा-सूची ठ- पद्मावती देवी की यक्षिणी आर्या के समीप प्रव्रज्या. इग्यारह अंगो का अध्ययन. तपश्चर्या का आराधन. बीस वर्ष का श्रमणी जीवन एक महिने की संलेखना. शिवपद की प्राप्ति द्वितीय गोरी अध्ययन तृतीय गंधारी चतुर्थ लक्षणा पंचम सुसोमा षष्ठ जांबवती , सप्तम सत्यभामा , अष्ठम रुक्मिीणी , नवम मूलश्री अध्ययन ११ क- उत्थानिका, द्वारिका नगरी, रैवतक पर्वत, नन्दनवन, कृष्ण वासुदेव, जांबवत्ती देवी, शाम्ब कुमार, मूल श्री भार्या, भ० अरिष्ट नेमी का समवसरण-यावत्-सिद्धगति ख दशम मूलदत्ता अध्ययन षष्ठ वर्ग क- उत्थानिका, सोलह अध्ययनों के नाम ख प्रथम मकाई अध्ययन उत्थानिका, राजगृह, गुणशील चैत्य, श्रेणिक राजा, मकाई गाथापति ग- भ० महावीर का समवसरण. प्रवचन. मकाई गाथापति को वैराग्य. ज्येष्ठ पुत्र को गृहभार सौंप कर दीक्षित होना, इग्यारह अंगों का अध्ययन. गुणरत्न तप की आराधना. सोलह वर्ष का साधु जीवन, विपुल गिरिपर समाधि मरण, शिवपद Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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