SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 516
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अन्तकृद्दशा-सूची ४८८ वर्ग ३ अ०६ ङ- देवकी महारानी का आर्तध्यान. श्रीकृष्ण का आश्वासन च- श्री कृष्ण का अपमभक्त तप. हरिणगवेषी देव का आराधन छ- हरिणगवेषी का आश्वासन ज- गजसुकुमार का जन्म. नामकरण झ- चार वेदों का पारंगत सोमिल ब्राह्मण. सोमश्री ब्राह्मणी. सोमा पुत्री ज- सोमा की कन्दुक क्रीडा ट- भ० अरिहनेमी का समवसरण. प्रवचन ठ- श्रीकृष्ण के साथ गजसुकुमार का गमन ण- गजसूकूमार का वैराग्य. श्रीकृष्ण द्वारा गजसूकुमार का राज्या भिषेक त- गज सुकुमार की प्रबज्या, एक रात्रि की महापडिमा का आरा, . धन. सोमिलद्वारा उपसर्ग. निर्वाण. देवताओं द्वारा देहसंस्कार. केवलज्ञान तथा निर्वाण का महोत्सव थ- भगवत्वंदना के लिये श्रीकृष्ण का निर्गमन. मार्ग में एक वृद्ध पुरुष पर अनुकम्पा करना एवं सहयोग देना. द- गजसुकुमार के लिए भगवान से प्रश्न. भगवान का यथार्थ कथन. भातृघातक की जिज्ञासा. भगवान द्वारा संकेत ... ध- वियोग व्यथित श्री कृष्ण का रथ्याओं में होकर स्वस्थान गमन करते हुए सोमिल को देखना, सोमिल की मृत्यु, भूमि का परिमार्जन नवम सुमुख अध्ययन . ७ क- उत्थानिका-द्वारिका नगरी. बलदेव राजा. धारिणी रानी. सुमुख कुमार. पचास कन्याओं के साथ पाणिग्रहण. दहेज ख- भ० अरिनेमी का समवसरण, प्रवचन, सुमुख कुमार को वैराग्य. प्रव्रज्या. बीस वर्ष का साधुजीवन. शत्रुञ्जय पर्वत पर अंतिम साधना. सिद्धपद की प्राप्ति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy