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________________ ७३ उपासक दशा-सूची ४७२ अ०१ सू०८८ भ० महावीर का विहार आनन्द का ज्ञानार्जन एवं गृहधर्म की आराधना ६५ क- गृहस्थधर्म आराधना के चौदह वर्ष ख- पंदरहवें वर्ष में ज्येष्ठ पुत्र को गृहभार सौंप कर कोल्लाक सन्निवेश में ज्ञातकुल की पौषधशाला में निवृत्तिमय जीवन बिताने का संकल्प करना ६६-६७ ज्येष्ठपुत्र द्वारो आनन्द के आदेश की स्वीकृति ६८ आनन्द का कोल्लाक सन्निवेश की पौषधशाला में जाकर आराधना करना ६९-७० आनन्द का पडिमा आराधन ७१-७२ आनन्द की संलेखना आनन्द को अवधिज्ञान. अवधिज्ञान की सीमा ७४ भगवान महावीर का पुनरागमन. ७५ गौतमस्वामी का संक्षिप्त परिचय ७६-७७ गौतमस्वामी का भिक्षार्थ जाना ७८-८० गणधर गौतम का आनन्द के समीप पहँचना ८१ आनन्द ने अपने अवधिज्ञान की सूचना गौतम स्वामी को दी ८२-८३ गौतम का संदेह. ८४-८६ क- आनन्द के अवधिज्ञान के सम्बन्ध में भ० महावीर द्वारा गौतम के संदेह का समाधान ख- आनन्द से क्षमा याचना के लिए गौतम को भ० महावीर का आदेश क- आनन्द का बीस वर्ष का श्रमणोपासक जीवन ख- इग्यारह उपासक प्रतिमा की आराधना ग- आनन्द की अन्तिम आराधना, एक मास की संलेखना घ- सौधर्म कल्प के अरुण विमान में आनन्द का उत्पन्न होना ८८ क- आनन्द की आत्मा के सम्बन्ध में गौतम स्वामी की जिज्ञासा ८७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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