SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 471
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रु०१ अ०८ ४४३ ज्ञाता०-सूची चौरासी लाख पूर्व का पूर्णायु, सबका जयन्त विमान में देव होना ६५ क- बत्तीस सागर की स्थिति ख- १. प्रतिबुद्धि साकेताधिपति २. चन्द्रच्छाय अंगदेशाधिपति ३. शंख काशिराज ४. रुक्मी कुणाल अधिपति ५. अदीन शत्रु कुरुराज ६. जितशत्रु पंचाल अधिपति ग- जंबूद्वीप, भरत, मिथिला राजधानी, कुम्भराजा, प्रभावती देवी चौदह महास्वप्न, महाबल देव का प्रभावती की कुक्षि में अवतरण, पूर्ण दोहद, उन्नीसवें तीर्थंकर का मल्लीरूप में जन्म ६६ नन्दीश्वर द्वीप में जन्मोत्सव, नाम करण । ६७ क- शतायु मल्ली को अवधिज्ञान द्वारा छहों राजाओं की जानकारी ख- अशोकवाटिका में “मोहनघर" का निर्माण ग- मोहनयर के मध्यभाग में स्वर्णमय मल्ली प्रतिमा की मल्ली द्वारा स्थापना ६८ क- कोशल जनपद, साकेत नगर, दिव्य नागघर ख- प्रतिबुद्धि राजा, पद्मावती रानी, नागयज्ञ का आयोजन, श्री दोमगंड की रचना ग- प्रतिबुद्धि राजा की सुबुद्धि अमात्य द्वारा मल्ली विदेह राज कन्या का परिचय घ- प्रतिबुद्धि महाराज का दूत प्रेषण, मल्ली विदेह राजकन्या की याचना ङ- प्रतिबुद्धि का मिथिला गमन ६६. क- अंगदेश-चंपानगरी, चन्द्रच्छाय राजा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy