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________________ १ भगवती-सूची ४१८ श०३४ उ०१ प्र०४ अष्टम एकेन्द्रिय शतक कापोत लेश्यावाले भवसिद्धिक एकेन्द्रियों के सम्बन्ध में इग्यारह उद्देशक प्रथम एकेन्द्रिय शतक के समान नवम एकेन्द्रिय शतक अभवसिद्धिक एकेन्द्रियों के सम्बन्ध में नव उद्देशक दशम एकेन्द्रिय शतक कृष्ण लेश्या वाले अभवसिद्धिक एकेन्द्रियों के सम्बन्ध में नव उद्देशक एकादशम एकेन्द्रिय शतक नील लेश्या वाले अभव सिद्धिक एकेन्द्रियों के सम्बन्ध में नव उद्देशक द्वादशम एकेन्द्रिय शतक कापोत लेश्या वाले अभवसिद्धिक एकेन्द्रियों के सम्बन्ध में नव उद्देशक चौतीसवाँ शतक अवान्तर द्वादश शतक प्रथम एकेन्द्रिय शतक प्रथम उद्देशक १ क- पांच प्रकार के एकेन्द्रिय ___ ख- एकेन्द्रियों के चार भेद २ अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वी कायिक जीवों की विग्रह गति ३ क- एक दो तीन समय की विग्रह गति होने का हेतु ख- सात प्रकार की श्रेणियां ४ अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकाय की पर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकाय के रूप में विग्रह गति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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