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श०२६ उ०२ प्र०१
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भगवती-सूची
बारहवां मिथ्यादृष्टि उद्देशक मण्डूकानुवृत्ति अध्यवसायों से मिथ्यादृष्टि नैरयिकों की उत्पत्ति शेष अष्टम उद्देशक के समान
छब्बीसवाँ शतक प्रथम जीव उद्देशक १ क- राजगृह. भ० महावीर और गौतम
ख- जीव के पाप कर्म का बन्ध, चार भांगा २ लेश्या वाले जीवों के पापकर्मों का बन्ध, चार भांगा
कृष्णलेश्या-यावत्-शुक्ललेश्यावाले जीवों के पापकर्मों का बन्ध लेश्या रहित जीवों के पाप कर्मों का बन्ध कृष्ण पाक्षिक जीवों के पाप कर्मों का बन्ध शुक्ल पाक्षिक जीवों के पाप कर्मों का बन्ध
तीन दृष्टि वाले जीवों के पाप कर्मों का बन्ध ८ पांच ज्ञान एवं तीन अज्ञान वाले जीवों के पाप कर्मों का बन्ध ह चार संज्ञा वाले तथा नौ संज्ञावाले जीवों के पापकर्मों का बन्ध १० सवेदी और अवेदी जीवों की कर्म बन्ध विचारणा ११-१२ सकषाय तथा अकषाय जीवों की कर्म बन्ध विचारणा १३ सयोगी, अयोगी तथा उपयोगी जीवों की कर्म बंध विचारणा
चौवीस दण्डक में लेश्या-यावत्-उपयोग विवक्षा से पाप कर्मों
का बंध १५-२५ चौवीस दण्डक में लेश्या-यावत्-उपयोग विवक्षा से आठ कर्मों
का बंध द्वितीय उद्देशक अनन्तरोपपन्नक चौबीस दण्डक में लेश्या-यावत्-उपयोग विवक्षा से पापकर्मों का तथा आठ कर्मों का बंध
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