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श०२५ उ०७ प्र०६८
४०६
भगवती-सूची
६८
संज्ञा ६७ पांच चारित्रवालों में संज्ञा
आहारक पांच चारित्रवालों में आहारक-अनाहारक
भव ६९-७० पांच चारित्रवालों के भव
आकर्ष ७१-७७ पांच चारित्रवालों के आकर्ष (चारित्रों की पुनः पुनः प्राप्ति)
स्थिति ७८.८२ पोच चारित्रों की स्थिति
अन्तर ८३-८६ पांच चारित्रों के अन्तर
समुद्घात पांच चारित्रवालों में समुद्घात क्षेत्र पांच चारित्रालों का क्षेत्र स्पर्शना पांच चारित्रवालों के द्वारा लोक का क्षेत्र स्पर्श
भाव ६०-६१ पांच चारित्रवालों के भाव
परिमाण .६२-६४ पांच चारित्रवालों का परिमाण
अल्प-बहुत्व पांच चारित्रों की अल्प-बहुत्व
दश प्रकार की प्रतिसेवना आलोचना के दश दोष
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