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श०२५ उ०३ प्र०४३
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भगवती-सूची
तृतीय संस्थान उद्देशक १ छ प्रकार के संस्थान २-३ परिमण्डल आदि संस्थानों के अनन्त द्रव्य ४ संस्थानों का अल्प-बहुत्व ५ पांच प्रकार के संस्थान ६-७ परिमण्डल-यावत् - आयत संस्थान के अनन्त द्रव्य ८-१२ रत्नप्रभा-यावत्---ईषप्राग्भारा में संस्थान के अनन्त द्रव्य १३-१४ यव मध्य क्षेत्र परिमण्डल-यावत्--आयत संस्थान के अनन्त
द्रव्य १५-१७ पांच संस्थानों का परस्पर सम्बन्ध, रत्न-प्रभा-यावत्-ईषत्
प्राग्भारा में एक यवाकृति निष्पादक, संस्थान में अन्य संस्थानों के अनन्त द्रव्य
दो प्रकार का वृत्त संस्थान क- वृत्त संस्थान के कितने प्रदेशों का कितने आकाश प्रदेशों में
अवगाहन व्यस्र संस्थान के कितने प्रदेशों का कितने आकाश प्रदेश में
अवगाहन २० चतुरस्र संस्थान के कितने प्रदेशों का कितने आकाश प्रदेशों
में अवगाहन आयत संस्थान के कितने प्रदेशों का कितने प्रदेशों में अवगाहन परिमण्डल संस्थान के कितने प्रदेशों में कितने प्रदेशों का
अवगाहन २३-२६ परिमण्डल आदि संस्थानों की कृतयुग्म रूपता २७-३८ परिमण्डल-यावत्-आयत संस्थानों के प्रदेश-कृतयुग्म
प्रदेशावगाढ-यावत्--कल्योज रूप हैं ३६-४२ आकाश-प्रदेश की अनन्त श्रेणियां ४३ अलोकाकाश की श्रेणियां
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