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भगवती-सूची
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श० १६ उ० ८ प्र० ६८ः
अप्काय-यावत्-वनस्पतिकाय की वेदना-पृथ्वीकाय के समान
चतुर्थ महाश्रव उद्देशक ३६-५४ चौबीस दण्डक में-महा आश्रव, महाक्रिया, महा वेदना
और महानिर्जरा का विचार
पंचम चरम उद्देशक ५५-५७ चौबीस दण्डक में अल्पायु तथा उत्कृष्टायु के साथ-साथ
महाकर्म क्रिया
प्राश्रव और वेदना का विचार ५८ क- दो प्रकार की वेदना ख- चोबीस दण्डक में दो प्रकार की वेदना
षष्ठ द्वीप उद्देशक ५६ द्वीप-समुद्रों के स्थान-संस्थान आदि का विचार
सप्तम भवन उद्देशक ६०-६१ असुरकुमारों के भवनावासों की संख्या तथा संक्षिप्त
भवनावासों का परिचय ६२-६३ व्यंतरवासों का संक्षिप्त परिचय
६४ ज्योतिष्कावासों का संक्षिप्त परिचय ६५-६७ सौधर्म कल्प के विमानों की संख्या, सर्व विमानावासों का
संक्षिप्त परिचय
अष्टम निर्वृत्ति उद्देशक ६८ चौवीस दण्डक में एकेन्द्रिय-यावत् पंचेन्द्रिय निर्वृत्ति
चौवीस दण्डक में कर्म निवृत्ति चौवीस दण्डक में शरीर निवृत्ति चौवीस दण्डक में सर्वेन्द्रिय निर्वृत्ति चौवीस दण्डक में भाषा निर्वृत्ति चौवीस दण्डक में मन नित्ति
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