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________________ भगवती-सूची ..३८२ श०१८ उ०६-१० प्र०११६ २ अनन्त प्रदेशिक स्कंध के सम्बन्ध में चार विकल्प अवधिज्ञानी का परमाणुज्ञान प्रश्नोत्तरांक ७, ८, ६ के समान विकल्प परमावधिज्ञानी तथा दर्शन का भिन्न-भिन्न समय केवलज्ञानी के ज्ञान तथा दर्शन का भिन्न-भिन्न समय नवम भव्य द्रव्य उद्देशक ६३-६४ चोबीस दण्डक के भव्य द्रव्य जीव ६५-६६ चौबीस दण्डक के भव्य द्रव्य जीवों की स्थिति दशम सोमिल उद्देशक चैक्रिय और पुद्गल भावित आत्मा अनगार की वैक्रिय लब्धि का सामर्थ्य वायु और पुद्गल परमाणु-यावत् अनन्त प्रदेशिक स्कंध से वायु का स्पर्श ६६ बस्ति (मशक) और वायुकाय १००-१०२ रत्नप्रभा-यावत्-ईषत्प्राग्भारी पृथ्वी के नीचे अन्योऽन्य सम्बद्ध द्रव्य १०३ क- वाणिज्यग्राम, दूतिपलाश चैत्य, चार वेद आदि ब्राह्मण शास्त्रों में निपुण सोमिल ब्राह्मण, उसके पांच सौ शिष्य. भ० महावीर का पदार्पण ख- शिष्य परिवार सहित सोमिल का भ० महावीर के समीप आगमन १०४-११० यात्रा, यापनीय, अव्याबाध और प्रासुक विहार के सम्बन्ध में भगवान् से प्रश्न १११-११५ क- सरसव, मास, कुलत्थ और एक अनेक के सम्बन्ध में भग वान् का स्पष्टीकरण क- सोमिल को बोध की प्राप्ति सोमिल की अन्तिम साधना और निर्वाण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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