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श०१५ उ०१ प्र०४६
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भगवती-सूची २८ फलियों का पाणी
शुद्धपाणी पूर्णभद्र और माणिभद्र देव की साधना
गोशालक और अयंपुलक आजीविकोपासक का मिलन ३२ मृत्यु महोत्सव करने के लिये गोशालक का स्थविरों को आदेश
गोशालक को सम्यक्त्व की प्राप्ति ३४ अन्तिम संस्कार के सम्बन्ध में गोशालक का नया आदेश ३५ क- मेंढिक ग्राम. साणकोष्ठक चैत्य. मालुकावन
ख- भ० महावीर को पित्तज्वर और रक्तातिसार की वेदना ग- सिंह अनगार की आशंका घ- सिंह अनगार को रेवती के घर से बिजोरा पाक लाने के लिये
भ० महावीर की आज्ञा सर्वानुभूति अनगार की सहस्रार कल्प में उत्पत्ति, महाविदेह में जन्म और मुक्ति सुनक्षत्र अनगार की अच्युत देवलोक में उत्पत्ति, महाविदेह में जन्म और मुक्ति गोशालक की अच्युत देवलोक में उत्पत्ति, गोशालक देव की
स्थिति ३६- क- जम्बूद्वीप, भरत, विंध्याचल पर्वत, पुंड्रदेश, शतद्वार नगर,
संभूति राजा, भद्रा भार्या की कुक्षिसे गोशालक की श्रात्मा
का जन्म ख- महापद्म, देवसेन और विमलवाहन ये, तीन राजकुमार ४० महापद्म और देवसेन नाम देने का हेतु
विमल वाहन नाम देने का हेतु
विमल वाहन का श्रमणनिग्रंथों के साथ अनार्य व्यवहार ४३-४४ विमल वाहन के रथ से सुमंगल अणगार का अध: पतन
सुमंगल अनगार के तपतेज से विमल वाहन का भष्म होना ४६ सुमंगल अनगार की सर्वार्थसिद्ध में उत्पत्ति तदनन्तर
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