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________________ भगवती-सूची ३५८ श०१४ उ०२-३ प्र०२२ ७ चौवीस दण्डक में अनन्तरोपन्नक लौर परम्परोपपन्नक के आयु का बंध चौवीस दण्डक में अनन्तरनिर्गत और परम्परा निर्गत जीव ६-११ चौवीस दण्डक में अनन्तर निर्गत और परम्परा निर्गत जीवों का आयु-बंध १२ क- चौवीस दण्डक में परम्पर खेदोपपन्नक और अनन्तर खेदोपपन्नक ख- चौवीस दण्डक में अनन्तर खेदोपपन्नक जीवों में आयुबंध का निषेध ग- चौवीस दण्डक में परम्पर खेदोपपन्नक जीवों में आयुबन्ध घ- चौवीस दण्डक में अनन्तर विग्रह गतिप्राप्त खेदोपपन्नक जीवों में आयु बंध का निषेध द्वितीय उन्माद उद्देशक १३ दो प्रकार का उन्माद १४-१५ चौवीस दण्डक में उन्माद पर्जन्य विचार १६ इन्द्र द्वारा वृष्टि १७ वृष्टि का कार्यक्रम असुरों-यावत्-वैमानिकों द्वारा दृष्टि वृष्टि के हेतु तमस्काय ईशानेन्द्र द्वारा तमस्काय की रचना २१ क- असुरों-यावत्-वैमानिकों द्वारा तमस्काय की रचना ख- तमस्काय की रचना के हेतु तृतीय शरीर उद्देशक मध्यगति २२ क- महाकाय देव का भावित आत्मा अनगार के मध्य में होकर गमन १६ २० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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