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श०१२ उ०६.७ प्र०६६
१२ २०६.७ प्र०६
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भगवती-सूची
ख- भाव लेश्या में वर्णादि नहीं हैं ग- तीन दृष्टियों में वर्णादि नहीं हैं घ- चार दर्शनों में वर्णादि नहीं है ङ- पांच ज्ञानों में वर्णादि नहीं है च- चार संज्ञाओं में वर्णादि नहीं है छ- पांच शरीरों में वर्णादि हैं ज- तीन योगों में वर्णादि हैं झ- साकारोपयोग और निराकारोपयोग में वर्णादि नहीं है
सर्व द्रव्यों में वर्णादि है ६० गर्भस्थ जीव में वर्णादि है
जीव और जगत् का कर्मों से विविधरूप में परिणमन
षष्ठ राहु उद्देशक ६२ क- राहु के सम्बन्ध में जनसाधारण की भ्रान्त धारणा
ख- राहुदेव का वर्णन ग- राहु के नाम घ- राहु का विमान ङ- पूर्व-पश्चिम में गमन करता हुआ राहु चन्द्र के उद्योत को आवृत्त
करता है दो प्रकार का राहु राहुसे चन्द्र और सूर्य के आवृत होने का जघन्य उत्कृष्ट काल चन्द्र को शशि कहने का हेतु सूर्य को आदित्य कहने का हेतु चन्द्र के अग्रमहीषियां सूर्य और चण्द्र के काम-भोग
सप्तम लोक उद्देशक ६६ लोक का आयाम-विष्कम्भ
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