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________________ आचारांग सूची ३६ क ख ग घ सूत्र संख्या 5 ४० ४१ ४२ ४३ ४४-४५ ४६ क ख ग घ ङ च छ S8 ४७ ४८ क ख ग अग्निकाय घ 33 " " पंचम वनस्पतिकाय उद्देशक अनगार लक्षण विषय - संसार संसार का स्वरूप विषयी आराधक नहीं प्रमत्त अहिंसा वनस्पतिकाय परिज्ञा सूत्र संख्या ह Jain Education International वनस्पतिकायिक जीवों की हिंसा से विरत मुनि के हिंसक को वेदना का अज्ञान के अहिंसक को वेदना का ज्ञान की हिंसा से विरत होने का उपदेश की परिज्ञा वाला ही मुनि है 17 11 वनस्पतिकायिक हिंसा की परिज्ञा हिंसा के हेतु हिंसा का फल 31 17 श्रु०१, अ०१. उ०५ सू०४८ 31 "1 हिंसा के फल का ज्ञाता वनस्पतिकायका हिंसक अन्य अनेक जीवों का हिंसक मानव शरीर से वनस्पतिकाय की तुलना वनस्पतिकाय के हिंसक को वेदना का अज्ञान अहिंसक को वेदना का ज्ञान " की हिंसा से विरत होने का उपदेश परिज्ञा वाला ही मुनि है 1 हिंसा से अविरत द्रव्यलिंगी 11 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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