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________________ भगवती-सूची ३१० श०६ उ०७-८ प्र०१३३. सप्तम शाली उद्देशक १११ शाली ब्रीहि आदि धान्यों की स्थिति ११२ कलाद, मसूर आदि धान्यों की स्थिति ११३ अलसी, कुसुंभ आदि धान्यों की स्थिति गणनीय काल ११४ एक मुहूर्त के स्वासोच्छ्वास एक अहोरात्र के मुहूर्त एक पक्ष के अहोरात्र एक मास के पक्ष एक ऋतु के मास एक अयन के ऋतु एक संवत्सर के अयन एक युग के संवत्सर सौ वर्ष के युग-यावत्-शीर्ष प्रहेलिका ११५ दो प्रकार का औपमिक काल ११६ पल्योपम और सागरोपम का वर्णन सुषमा-सुषमा का भरत ११७ इस अवसर्पिणी के प्रथम आरे का वर्णन अष्टम पृथ्वी उद्देशक ११८ आठ पृथ्वियां ११६-१२५ सात पृथ्वियों का वर्णन-षष्ठ शतक, पंचम तमस्काय ___उद्देशक सूत्र ६४ से ७२ के समान १२६-१३१ सौधर्मकल्प-यावत्-सर्वार्थ सिद्ध विमान पर्यंत का वर्णन षष्ठ शतक पंचम तमस्काय उद्देशक सूत्र ६४ से ७५ के समान १३२ चौवीस दण्डक में छह प्रकार का अायुबंध १३३ चौवीस दण्डक में छह प्रकार का निधत्त बंध Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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