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________________ श०५ उ०७ प्र०१३६ ३०३ भगवती-सूची १२४ ११६-१२१क- परमाणु पुद्गल का स्पर्शन-नव विकल्प ख- दो प्रदेशी-यावत्-अनंत प्रदेशी स्कंध का स्पर्शन १२२ परमाणु पुद्गल-यावत्-अनंत प्रदेशी स्कंध की स्थिति १२३ एक प्रदेशावगाढ पुद्गल-यावत्-असंख्यप्रदेशावगाढ पुद्गल का कंपन एक प्रदेशावगाढ-पुद्गल-यावत्-असंख्यप्रदेशावगाढ पुद्गल का निष्कम्प १२५ क- एक गुण काले पुद्गल की स्थिति ख- यावत्-अनंतगुण काले पुद्गल की स्थिति ग- शेष वर्णन-गध, रस, स्पर्श की स्थिति घ- सूक्ष्म परिणत पुद्गल की स्थिति ङ- बादर परिणत पुद्गल की स्थिति १२६ शब्द परिणत पुद्गल की स्थिति अशब्द परिणत पुद्गल की स्थिति १२७ स्कंध से परमाणु पुद्गल के विभक्त होने का काल द्विप्रदेशी-यावत्-अनंत प्रदेशी स्कंध के विभक्त होने का काल १२६ एक प्रदेशावगाढ पुद्गल-यावत्-असंख्य प्रदेशावगाढ पुद्गल का कंपन काल १३० क- एक प्रदेशावगाढ पुद्गल-यावत्-असंख्य प्रदेशावगाढ पुद्गल का निष्कंपन काल ख- वर्णादि परिणत तथा सूक्ष्म-बादर परिणत पुद्गल का काल १३१ शब्द परिणत पुद्गल का काल अशब्द परिणत पुद्गल का काल श्रायु अल्प-बहुत्व द्रव्यादि चार प्रकार के आयु का अल्प-बहुत्व परिग्रह १३४-१३६ चौवीस दण्डक में आरंभ-परिग्रह १२८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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