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________________ भगवती-सूची २६६ श०५उ०१ प्र०१६ m w नवम-नैरयिक उद्देशक नैरयिक नरयिकों में उत्पन्न होता है दशम लेश्या उद्देशक नीललेश्या का संयोग पाकर कृष्ण लेश्या का नील लेश्या रूप में परिणमन पंचम शतक प्रथम सूर्य उद्देशक १ क- चंपा नगरी. पूर्णभद्र चैत्य .. ख- भ० महावीर और गौतम २ सूर्य का उदयास्त भिन्न-भिन्न दिशाओं में ३ जम्बूद्वीप में दिवश और रात्रियों ४-६ जम्बुद्वीप में दिवस और रात्रि का परिमाण तीन ऋतुएँ १०-११ जम्बुद्वीप में वर्षा ऋतु १२ क- जम्बुद्वीप में हेमन्त ऋतु ख- जम्बुद्वीप में ग्रीष्म ऋतु अयन १३ क- जम्बुद्वीप में अयन ख- जम्बुद्वीप में युग-यावत्-सागरोपम १४ क- जम्बुद्वीप में उत्सर्पिणी काल ख- जम्बुद्वीप में अवसर्पिणी काल लवणसमुद्र १५ लवण समुद्र में सूर्योदय-सूर्यास्त लवण समुद्र में उत्सर्पिणी-अवसर्पिणी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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