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________________ श०४ उ०८ प्र०४ २६५ भगवती-सूची च- उदधिकुमारों के दश अधिपति छ- दिशा कुमारों के दश अधिपति ज- वायु कुमारों के दश अधिपति झ- स्तनित कुमारों के दश अधिपति अ- दक्षिण दिशा के भवनपतियों के लोकपाल १५१ क- पिशाचों के दो अधिपति-यावत्-पतंगदेव के दो अधिपति ख- ज्योतिषी देवों के दो अधिपति १५२ सौधर्म-ईशानकल्प के दश अधिपति-यावत्-सहस्रागार पर्यंत दश अधिपति आनतादि चार कल्प के दो अधिपति नवम इन्द्रिय उद्देशक १५३ पांच इन्द्रियों के विषय दशम परिषद् उद्देशक चमरेन्द्र की तीन सभायें-यावत्-अच्युत पर्यन्त तीन सभायें चतुर्थ शतक चार लोकपाल-विमान उद्देशक ईशानेन्द्र के चार लोकपाल चार लोकपालों के चार विमान ३ क- सोम लोकपाल के सुमन महाविमान का स्थान लम्बाई चौडाई आदि ख- शेष तीन विमानों के तीन उद्देशक ग- चारों लोकपालों की स्थिति घ. चारों लोकपालों के अपत्यरूप देवों की स्थिति चार लोकपाल-राजधानी उद्देशक ४ चार लोकपालों की चार राजधानियां १५४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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