________________
भगवती-सूची
२८९
श०३ उ०२ प्र०६१
ख- जंबू द्वीप. भरत क्षेत्र. विध्यगिरि की तलहटी. बेभेल सन्निवेश ग- पूरण गाथापति का “दानामा प्रव्रज्या" ग्रहण करना घ- पूरण का अभिग्रह ङ- दानामा प्रव्रज्या के विधि-विधान च- पूरण का पादपोपगमन अनशन छ- भ० महावीर के छद्मस्थ जीवन का इग्यारवां वर्ष ज- सुंसुमारपुर के बाहर अशोक वन में भ० महावीर द्वारा एक
रात्री की भिक्षु प्रतिमा की आराधना झ- पूरण का चमरेन्द्र के रूप में उपपात ब- चमरेन्द्र द्वारा सौधर्म कल्प के शवेन्द्र का अवलोकन ट- चमरेन्द्र का रोष ठ- भ० महावीर की निश्रा में चमरेन्द्र का सौधर्म कल्प में गमन ड- चमरेन्द्र का शकेन्द्र को ललकारना ढ- शकेन्द्र का चमरेन्द्र पर वज्रप्रहार ण- चमरेन्द्र का पलायन और शकेन्द्र का पीछा करना त- भ० महावीर के चरणों की शरण में चमरेन्द्र का पहँचना थ- शक्रेन्द्र का अवधि प्रयोग और वज्र को पकड़ना द- शकेन्द्र का भ० महावीर से क्षमा याचना ध. शकेन्द्र का चमरेन्द्र को अभयदान और शकेन्द्र का चमरेन्द्र
को न पकड़ सकने का कारण ५७-५८ पुद्गलगति और दिव्यगति का अन्तर ५६ क- शक्रेन्द्र की उर्ध्वगति और चमरेन्द्र की अधोगति तीव्र होती है
ख- इन्द्र और वज्र की गति में अन्तर ६० उर्ध्व, अधो व मध्यलोक में शकेन्द्र की गति का अल्प-बहत्व ६१ क- ऊर्ध्व, अधो व मध्यलोक में चमरेन्द्र की गति का अल्प-बहुत्व
ख- वज्र की गति का अल्प-बहुत्व
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org