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________________ भगवती-सूची २८३ ख- पाश्वपत्य स्थविरों का परिचय ग- श्रावकों का धर्मश्रवण घ- स्थविरों से श्रावकों के प्रश्न ३५ १- संयम का फल २- तप का फल ३- देवलोक में उत्पन्न होने का कारण ४- काश्यप स्थविर का उत्तर क- स्थवीरों का तुंगिका नगरी से बिहार ख- राजगृह में भ० महावीर और गौतम ग- गौतम की भिक्षाचर्या ङ- स्थविरों की योग्यता के सम्बन्ध में गौतम की जिज्ञासा च - भ० महावीर द्वारा स्थविरों की योग्यता का समर्थन ३७-४६ पर्युपासना के फल की परम्परा राजगृह के बाहर गर्भपानी का कुण्ड ४७ क अन्य तीर्थिक राजगृह के बाहर यह गर्मपानी का कुण्ड अनेक योजन का लम्बा चौड़ा है ख- भ० महावीर - इस " महातपोपतीर प्रभव" करने का परिमाण ५०० योजन है ४८ ४६ ५० षष्ठ भाषा उद्देशक अवधारिणी भाषा सप्तम देव उद्देशक चार प्रकार के देव भवनवासी देवों के स्थान यावत्-वैमानिक देवों के स्थान अष्टम चमरचंचा उद्देशक श०२ उ०६-८ प्र०५१ ५१ क- चमरेन्द्र की सुधर्मा सभा ख- अरुणवर द्वीप, अरुणवर समुद्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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