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________________ समवायांग-सूची २५० समवाय ६८-६६ २ मेरु पर्वत के उत्तरान्त से दगभास पर्वत के उत्तरान्त का अन्तर ३ मेरु पर्वत के पूर्वान्त से शंख पर्वत के पूर्वान्त का अन्तर ४ मेरु पर्वत के दक्षिणान्त पर्वत से दगसीम पर्वत के दक्षिणान्त का अन्तर ५ आठ कर्मों की उत्तर-प्रकृतियाँ ६ हरिषेण चक्रवर्ती का आयु अट्ठानवेंवाँ समवाय नंदनवन के ऊपरी भाग से पंडुकवन के अधोभाग का अन्तर मेरु पर्वत के पश्चिमान्त से गोस्तुभ आवास पर्वत के पूर्वान्त का अन्तर ३ क- मेरु पर्वत के उत्तरान्त से दगभास पर्वत के दक्षिणान्त का अन्तर ख- मेरु पर्वत के पूर्वान्त से शंख पर्वत के पश्चिमान्त का अन्तर ग- मेरु पर्वत के दक्षिणान्त से दगसीम पर्वत के उत्तरान्त का अन्तर दक्षिणार्ध भरत के धनुपृष्ठ का आयाम ५ उत्तरायण-उनचासवें मण्डल में दिन-रात की हानि-वृद्धि दक्षिणायन-उनचासवें मण्डल में दिन-रात की हानि-वृद्धि रेवती से ज्येष्ठा पर्यन्त नक्षत्रों के तारे निनानवेंवाँ समवाय १ मेरु पर्वत की ऊंचाई २ नन्दनवन के पूर्वान्त से पश्चिमान्त का अन्तर ३ नन्दनवन के दक्षिणान्त से उत्तरान्त का अन्तर ४ उत्तरायन में प्रथम सूर्य मण्डल का आयाम-विष्कम्भ ५ द्वितीय सूर्य मंडल का आयाम-विष्कम्भ ६ तृतीय सूर्य मंडल का आयाम-विष्कम्भ ७ रत्नप्रभा में अंजन काण्ड के अधोभाग से व्यन्तरों के भौमेय विहारों के ऊपरी भाग का अन्तर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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