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________________ • समवाय ३७, ४० २३३ सैंतीसवां समवाय १ भ० कुंथुनाथ के गणधर भ० अरहनाथ के गणधर २ हेमवंत क्षेत्र की जीवा का आयाम हिरण्यवत क्षेत्र की जीवा का आयाम ३ चार अनुत्तर विमानों के प्राकारों की ऊँचाई ४ क्षुद्रिका विमानप्रविभक्ति के प्रथम वर्ग के उद्देशक ५ कार्तिक कृष्णा सप्तमी के दिन पौरुषी प्रमाण अड़तीसवां समवाय १ भ० पार्श्वनाथ की उत्कृष्ट श्रमणी सम्पदा २ हेमवत क्षेत्र की जीवा का धनुपृष्ठ हिरण्यवत क्षेत्र की जीवा का धनुपृष्ठ ३ मेरु पर्वत के द्वितीय कांड की ऊंचाई ४ क्षुद्रिका विमान प्रविभक्ति के द्वितीय वर्ग के उद्देशक उनचालीसवां समवाय १ भ० नमिनाथ के अवधिज्ञानी मुनि २ समय क्षेत्र के कुल पर्वत ३ द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, षष्ठ और सप्तम नरक के नरकावास ४ ज्ञानावरणीय, मोहनीय, गोत्र और आयुकर्म की उत्तर प्रकृतियां चालीसवां समवाय १ भ० अरिष्टनेमी की श्रमणी सम्पदा २ मेरु चुलिका की ऊंचाई ३ भ० शांतिनाथ की ऊंचाई ४ भूतानन्द नागकुमारेन्द्र के भवन ५ क्षुद्रिका विमानप्रविभक्ति के तृतीय वर्ग के उद्देशक Jain Education International समवायांग सूची For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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