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श्रु१, अ० १०, उ०१ सू० ७२१ १६५
स्थानांग-सूची ७१४ क- , , , अंतरिक्ष अस्वाध्याय
ख. , , , औदारिक ,, ७१५ क- पंचेन्द्रिय जीवों की रक्षा से दश प्रकार का संयम
ख- ,, , ,, हिंसा ,, , , , असंयम ७१६ दश प्रकार के सूक्ष्म ७१७ क. जम्बू द्वीप के मेरु पर्वत से दक्षिण में गंगा-सिन्धु में मिलने
वाली दश नदियाँ ख- , , , , उत्तर में रक्तावती में , , ७१८ क- जम्बूद्वीप के भरत में दश राजधानियाँ
ख- इन राजधानियों में दीक्षित होनेवाले दश राजा ७१६ जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत का उद्वेध (गहराई)
,, , , के मूल का विष्कम्भ-चौड़ाई ,, ,, , , मध्यभाग का विष्कम्भ
" , ,, की ऊंचाई ७२० क- जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत के मध्यभाग में आठ रुचक प्रदेश
ख- इन रुचक प्रदेशों से दश दिशाओं की उत्पत्ति ग- दश दिशाओं के नाम घ- लवण समुद्र का गोतीर्थ विरहित क्षेत्र " " , उदक माल
, के पाताल कलशों का उद्वेध " , , , , ,, विष्कम्भ " , , , , ,, बाहल्य ,, ,, क्षुद्रपाताल कलशों का,, उद्वेध-विष्कम्भ
और बाहल्य ७२१ क- धातकी खंड द्वीप के मेरुपर्वत का उद्वेध और विष्कम्भ
ख- पुष्कर वर द्वीपार्ध के ,, ,
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