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श्रु०१, अ०० उ०१ सू०६३२ १८५
स्थानांग-सूची ६१४. क- चतुरिन्द्रिय जीवों की रक्षा से आठ प्रकार का संयम
ख- ,, , ,, हिंसा , , ,, ,, असंयम ६१५ आठ प्रकार के सूक्ष्म
भरत चक्रवर्ती के पश्चात् आठ पुरुष मुक्त हुए भ० पार्श्वनाथ के आठ गणधर
आठ दर्शन ६१६ आठ प्रकार का औपमिक काल ६२० भा० अरिष्ट नेमि के पश्चात् आठ युग-प्रधान पुरुष
भ० महावीर के उपदेश से दीक्षित होनेवाले आठ राजा
आठ प्रकार का आहार ६२३ क- आठ कृष्णराजी
ख- आठ कृष्णराजियों के नाम ग- , , ,, अवकाश में आठ लोकान्तिक विमान घ- ,, लोकान्तिक देवों की स्थिति क- धर्मास्तिकाय के मध्य-प्रदेश आठ ख- अधर्मास्तिकाय के , , ग- आकाशास्तिकाय के ,, ,
घ. जीवास्तिकाय के , , २५ महापद्म तीर्थंकर आठ राजाओं को दीक्षित करेंगे
मुक्त होनेवाली श्री कृष्ण की आठ अग्र महिषियाँ ६२७ वीर्य प्रवाद पूर्व की आठ चूलिका वस्तु
आठ प्रकार की गति ६२६ गंगा आदि ४ देवियों के द्वीपों का आयाम विष्कम्भ
उल्कामुख आदि ४ देवों के द्वीपों का आयाम विष्कम्भ
कालोद समुद्र का आयाम विष्कम्भ “६३२ पुष्करार्ध द्वीप के अंदर का आयाम विष्कम्भ
" " "बाहर" , "
“६२४ क.
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