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________________ स्थानांग-सूची १७६ श्रु०१, अ०७ उ०१ सू० ५५५ सात स्वरों के तीन ग्राम तीनों ग्राम की सात-सात मूर्छना सात स्वरों के उत्पत्ति स्थान गेय की उत्पति गेय के तीन आकार गेय के छह दोष गेय के आठ गुण " " तीन वृत्त " की दो भणिति (भाषा) गायन करने वाली स्त्रियों के स्वर से उनके वर्गों का ज्ञान सात प्रकार के स्वर सम तान-उनपचास स्वर मंडल पूर्ण ५५४ सात प्रकार का कायक्लेश ५५५ क- जम्बूद्वीप में सात क्षेत्र ख- " " " वर्षघर पर्वत ग- लवण समुद्र में मिलने वाली सात नदियां घ- " " " " " " - धातकी खण्ड द्वीप के पूर्वाध के सात क्षेत्र .च- " " " " " " वर्षधर पर्वत छ- लवण समुद्र में मिलनेवाली सात नदियाँ ज- कालोद ,, ,, ,, ,, , झ- धातकी खंड द्वीप के पश्चिमार्ध में सात क्षेत्र अ- , , , , , , वर्षधर पर्वत ट- लवण समुद्र में मिलने वाली सात नदियाँ ठ- कालोद ,, , , , , ड- पुष्कर वर द्वीपार्ध के पूर्वाध में सात क्षेत्र ढ- , , , , , वर्षधर पर्वत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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