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स्थानांग सूची
दो स्थानों में जीवों द्वारा पापकर्म के पुद्गलों का कालिक चयन यावत्-निर्जरा
श्रु०१, अ०३, उ० १ सू० १२६
११७
११८ क दो प्रदेशी स्कंध
ख- दो प्रदेशावगाढ़ पुद् गल
ग- दो समय की स्थितिवाले पुद्गल
घ- दो गुण
काले- यावत्-दो गुण रूखे
सूत्र संख्या २३
११६ क ग
१२० क ग -
१२१
तृतीय स्थान
प्रथम उद्देशक
तीन प्रकार के इन्द्र
तीन प्रकार की विकुर्वणा - वैक्रिय शक्ति उन्नीस दण्डकों के संख्या भेद से तीन प्रकार
१२२
तीन प्रकार की परिचारणा
१२३ क
का मैथुन
ख-ग- मैथुन सेवन करने वाले तीन वर्ग १२४ क- सोलह दंडकों में तीन प्रकार के योग
33
ख
प्रयोग
करण
31
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31
ग
घ- चौवीस
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१२५ छ- अल्पायु
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ख- दीर्घायु ग- अशुभ दीर्घायु ' घ- शुभदीर्घायु १२६ क तीन गुप्ति
"1
17
22
17
बंध के तीन कारण
33
3)
37
77
संयत मनुष्यों की तीन गुप्ति ख- सोलह दण्डकों में तीन अगुप्ति
ग- तीन प्रकार के दंड
पुद्गल
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