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स्थानांग सूची
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श्रु ०१, अ०२, उ०१ सूत्र ७६
द-न- बुद्ध बोधित छद्मस्थ क्षीण कषाय वीतराग संयम दो प्रकार का
प- केवली फ-भ- सजोगी केवली म- अजोगी केवली
७४
७५
७६
15 ठि
ज
झ
७३ क ङ- दो प्रकार के पृथ्वीकाय यावत् - वनस्पति काय
च
उव्य
पृथ्वीकाय
द्रव्य
पृथ्वी काय
द्रव्य
काल के दो भेद
आकाश
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21
दो प्रकार के काय
त्रस काय के दो भेद
स्थावर
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दिशा विचार
21
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चौवीस दंडकों में दो शरीर
विग्रहगति प्राप्त जीवों के दो शरीर
चौवीस दडकों में दो कारणों से शरीर की रचना शरीर प्राप्ति के दो कारण
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सहभोज, सहवास,
पूर्व और उत्तर दिशा में करने योग्य कार्य(१) प्रव्रज्या, मुँडन, शिक्षा, उपस्थापन, स्वाध्याय के लिए आदेश, विशेष आदेश, अध्यापन के लिए आदेश, आलोचना, प्रतिक्रमण, निंदा, गर्हा, अतिचार त्याग के लिए संकल्प, अतिचार शुद्धि, पुनः अतिचार सेवन न करने की
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