SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 824
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिशिष्ट १२ : विशेष नामानुक्रम ६९३ रुद्दपुर (नगर) उनि.३४४ रुद्दसोमा (व्यक्ति) उनि.९७ रुप्प (पृथ्वीकाय) आनि.७३ रुयग (मणि) आनि.७५ रूविणी (सार्थवाह-पत्नी) उनि.४३१, ४३२ रोद्द (परमाधार्मिक देव) सूनि.६६ रोहगुत्त (शिष्य) उनि. १७२/७ रोहगुत्त (मंत्री) आनि. २२८ लच्छिघर (चैत्य) उनि. १७२/५ लवण (समुद्र) आनि.५० लाउयपात (अलाबुपात्र) दनि. ११८ लोगसार (अध्ययन) आनि.२३९ लोण (पृथ्वीकाय) आनि.७३ लोम (आहार) सूनि. १७१, १७२ लोहि (उपकरण) सूनि.७८ लोहियक्ख (मणि) आनि.७५ वइर (रत्न) आनि.७३, २४० वइर (आचार्य) आनि.२८३ वइरक्खमण (आचार्य) उनि.९८ वंजुल (वनस्पति) दशनि.१३३ वंस (वनस्पति) दनि.१०३ वंसीपासाय (भवन) उनि. ३३६ वक्कसुद्धि (अध्ययन) दशनि.१६ वगु (विमान) उनि.२८८ वग्गुमती (महिला) आनि. ३२३ वग्घ (तिर्यञ्च) उनि.१०३,१२८ वग्घी (विद्या) उनि.१७२/९ वच्छी (रानी) उनि. ३३२ वट्ट (संस्थान) उनि.३८ वडथलग (नगर) उनि. ३४० वडपायव (वृक्ष) उनि.३३७ वडपुरग (नगर) उनि.३४० वडपुरय (नगर) उनि.३४१ वड्डकुमारी (महिला) दशनि.५८ वणराइ (रानी) उनि.३३४ वणिय (करण) उनि.१९०, सनि.११ वद्धमाण (तीर्थंकर) आनि.२९६, उनि.५१९, दनि.११५ वयग्गाम (ग्राम) उनि.३६३ वयरोसभ (संहनन) उनि. ४०४ वरग (मंत्री) दनि. १०६ वरधणु (मंत्री) उनि.३३०, ३३७ वरधणुग (मंत्री) उनि.३३७ वररुइ (व्यक्ति) उनि. १०१ वराही (विद्या) उनि.१७२१८ वलय (आभूषण) उनि.२५८, २६७ वलायमरण (मरण) उनि. २०५, २१० ववहार (ग्रन्थ) दशनि.१६७, दनि.१,४७ वसट्टमरण (मरण) उनि.२०५, २१० वसभ (तिर्यञ्च) उनि. २५८, २६०, २६१ वसह (तिर्यञ्च) उनि.२५९, २६१ वसु (आचार्य) उनि.१७२/३ वसुमित्त (वणिक्) उनि.३३३ वाउ (दिव्यशस्त्र) सूनि. ९८ वाघातिममरण (मरण) आनि.२८५ वाणारसी (नगरी) उनि.३१७, ३४०, ४६०, ४६८ वाणीरा (रानी) उनि.३३४ वायव्वा (दिशा) आनि.४३ वायस (तिर्यञ्च) उनि.१३५ वारिभद्दग (दार्शनिक) सूनि.९० वारुण (दिव्यशस्त्र) सूनि.९८ वारुणी (दिशा) आनि.४३ वालु (परमाधार्मिक देव) सूनि.६७ वालूग (परमाधार्मिक देव) सूनि.७९ वासवदत्ता (राजकुमारी) उनि.१४८ वासि (शस्त्र) आनि.१४९ वासिट्टा (पुरोहित-पत्नी) उनि.३५९, ३६६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001929
Book TitleNiryukti Panchak Part 3
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages856
LanguagePrakrit, Hind
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, G000, & G001
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy