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निर्यक्तिपंचक
२०५. नालंदा के समीप मनोरथ नाम के उद्यान में इन्द्रभूति ने निग्रंथ उदक के प्रश्न के समाधान में इस अध्ययन का कथन किया। नालन्दा के समीप उद्यान में इसका प्रतिपादन होने के कारण यह अध्ययन नालन्दीय कहलाया।
२०६. पापित्यीय उदक ने आर्य गौतम से श्रावक के विषय में पूछा। गौतम से श्रावक का धर्म सुनकर उदक संदेहरहित हो गया।
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