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नियुक्तिपंचक उवसग्गभीरुणो थीवसस्स नरगेसु होज्ज उववाओ। एव महप्पा वीरो, जयमाह तहा जएज्जाह ।। 'निस्सील-कुसीलजढो, सुसीलसेवी य' सीलवं चेव । नाऊण वीरियदुर्ग, पंडितविरिए पयतितव्वं ।। धम्मो समाहि मग्गो, समोसढा चउसु सव्ववादीसु । सीसगुण दोसकहणा, गंथम्मि सदा गुरुनिवासो ।। आदाणिय संकलिया, आदाणिज्जम्मि आयतचरितं । अप्पग्गंथे 'पिडियवयणे, गाधाए' अहिगारो ॥ मह पंचभूत एकप्पए य तज्जीवतस्सरीरी य । तध य अकारगवादी", आतच्छ8ो" अफलवादी ।। बितिए नियतीवाओ, अण्णाणिय तह य नाणवादी य । कम्मं चयं न गच्छति, चतुविधं भिक्खुसमयम्मि । ततिए आहाकम्म, कडवादी५ जध य ते पवादीओ" । किच्चुवमा य चउत्थे, परप्पवादी अविरतेसु ॥ नाम ठवणा दविए. खेत्ते काले कुतित्यि-संगारे । कुल-गण-'संकरसमए, गंडी तध'८ भावसमए य ।।
३२.
१. परिचत्त निसील-कुसील-सुसील सेविया दुठ्ठ १३. अण्णाणी (चू)। (क)।
१४. नाणवाईओ (अ,टी), नाणवाओ य (द)। परिचत्तनिसील-कुसील-सुसील-संविग्ग (टी)। १५. ०वाइ (ब), कडवायं (द)।
परिचत्त निसील कुसील सुसीलसेवी य (चू)। १६. पवादी तु (चू), य वाईओ (टी)। २. .वीरिए (टी,द)।
१७. कुतित्थ (टी), य कुतित्थ (क) । ३. पयट्टेइ (पयटिज्जा) (टी)।
१८. संकरगंडी बोद्धव्वो (क,टी)। ४. आयाणीयम्मि (अ,द)।
१९. प्रथम अध्ययन में चूणि एवं टीका में आई ५. आदयच० (टी)।
नियुक्ति गाथाओं में क्रमव्यत्यय मिलता है। ६. पिंडकवयणे ० (चू), पिडियवयणेणं होइ (टी)।
चूणि में चार उद्देशकों के विषय-वस्तु की ७. अहीयारो (ब)।
गाथाएं पहले हैं तथा फिर 'समय' अध्ययन ८. मध (अ,ब,चू)।
से संबंधित गाथाएं हैं। चणि का क्रम संगत ९. ०सरीरे (क)।
प्रतीत होता है। हस्तप्रतियों में टीकाक्रम से १०. अगारगवाती (टी)।
गाथाएं हैं। हमने चणि का क्रम स्वीकृत ११. अत्तच्छट्ठो (टी), आतछट्टो (अ,ब) ।
किया है। (देखें टिप्पण गाथा ३६ का।) १२. बीए (टी)।
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