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सूत्रकृतांग नियुक्ति
३२९
चूणि
संपादित
टीका
संपादित ११२
टीका ११२
१४३
१४३
१४४
११४
१०५ १०६ १०७ १०८ १०९
११४ ११५
१४५ १४६
१४४ १४५ १४६ १४७ १४८ १४९ १५० १५१
१११
११७ ११८ ११९ १२०
१४७ १४८ १४९ १५० १५१ १५२ १५३ १५४
११२
११३ ११४ ११५
१२१ १२२
१५२
११६
११६ ११७ ११८ ११९ १२० १२१ १२२ १२३ १२४ १२५ १२६ १२७ १२८ १२९ १३० १३१ १३२ १३३
१५४ १५५ १५६ १५७
११८ ११९ १२० १२१ १२२ १२३
१२३ १२४ १२५ १२६ १२७ १२८ १२९ १३० १३१ १३२
१५८
१५६ १५७ १५८ १५९ १६० १६१ १६२ १६३
१५९ १६०
१२४
१६२
१२५
१६४
१२६
१३३
१६५
१६४
१३४
१२७
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१६५
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१३५
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१६८
१३५ १३६ १३७ १३८ १३९
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१३७ १३८
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१७४
१४२
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१७४
१. मुनि पुण्यविजयजी द्वारा संपादित सूत्रकृतांग चूणि का प्रथम श्रुतस्कंध ही प्रकाशित है। उसके आगे ऋषभदेव केशरीमल श्वे. संस्था से प्रकाशित चूणि में गाथा संख्या का उल्लेख नहीं है अतः यहां से आगे चूणि की गाथा का संकेत नहीं दिया है।
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