________________
उत्तराध्ययन नियुक्ति
३७४.
चौदहवां अध्ययन
३८८-३९८. नरपति 'संजय' की जीवन-कथा, आचार्य ३५३,३५४. इषकार शब्द के निक्षेप तथा उसके भेद
गर्दभाली का प्रतिबोध और महाराज संजय प्रभेद।
की प्रव्रज्या। ३५५. इषुकारीय अध्ययन का निरुक्त ।
उन्नीसवां अध्ययन ३५६-३६६. इषकार आदि के पूर्वभव तथा वर्तमान भव ३९९,४००. मृग शब्द के निक्षेप तथा उसके भेद-प्रभेद । के कथा-संकेत ।
४०१. भावमृग का वर्णन तथा पुत्र शब्द के
निक्षेप । पन्द्रहवां अध्ययन
४०२. मृगापुत्रीय अध्ययन का निरुक्त । ३६७,३६८. भिक्षु शब्द के निक्षेप, उसके भेद-प्रभेद तथा
तथा ४०३-४१५. मृगापुत्र का जीवनवृत्त, जातिस्मृति से
. निरुक्त।
बोधिलाभ, माता-पिता की अनुज्ञा से संयम३६९,३७०. द्रव्यभेत्ता और भावभेत्ता ।
ग्रहण, उत्कृष्ट धामण्य का पालन, मोक्ष३७१. राग, द्वेष, विकथा आदि आठ पदों की क्षुध्
गमन । (क्षधा) संज्ञा ।
बीसवां अध्ययन ३७२. उत्तम भिक्षु की पहचान ।
४१६. क्षुल्लक और महत् शब्द के निक्षेप । सोलहवां अध्ययन
४१७,४१८. निर्ग्रन्थ शब्द के निक्षेप तथा उसके भेद
प्रभेद । ३७३. एक शब्द के सात निक्षेप ।
दश शब्द के निक्षेप तथा उसकी व्याख्या। ४१९-४२१. निग्रन्थ क प्रज्ञापना, वद आदि ३७द्वार । ३७५. ब्रह्म शब्द के निक्षेप तथा द्रव्यब्रह्म का।
४२२. महानिर्ग्रन्थीय अध्ययन का निष्कर्ष । स्वरूप।
इक्कीसवां अध्ययन ३७६. भावब्रह्म का स्वरूप और वर्जनीय स्थान । ४२३. समुद्रपाल शब्द के निक्षेप तथा भेद-प्रभेद । ३७७.
चरण शब्द के छह निक्षेप तथा द्रव्यचरण ४२४. समुद्रपालीय अध्ययन का निरुक्त । आदि का स्वरूप।
४२५-४३६ समुद्रपाल की जन्मकथा, विवाह, ३७८. समाधि के निक्षेप तथा द्रव्य और भाव
वैराग्योत्त्पति का कारण, दीक्षा तथा मोक्षसमाधि का स्वरूप।
प्राप्ति । ३७९. स्थान शब्द के पन्द्रह निक्षेप ।
बावीसवां अध्ययन सतरहवां अध्ययन
४३७,४३८. रथनेमि शब्द के निक्षेप तथा उसके भेद
प्रभेद । ३८०. पाप शब्द के निक्षेप तथा द्रव्यपाप आदि
४३९. रथनेमीय अध्ययन का निरुक्त। का स्वरूप ।
४४०,४४१, रथनेमि के माता, पिता, भाई आदि के ३८१. भावपाप का स्वरूप।
नाम। ३८२. श्रमण शब्द के निक्षेप तथा द्रव्य और भाव
४४२. अरिष्टनेमि तीर्थंकर । रथनेमि और श्रमण का स्वरूप ।
सत्यनेमि-दोनों प्रत्येक बुद्ध । ३८३. पापश्रमण कौन ?
४४३,४४४. रथनेमि तथा राजीमती का पर्याय परिमाण ३८४. पापस्थान वर्जन का फल ।
आदि । अठारहवां अध्ययन
तेवीसवां अध्ययन ३८५,३८६.संजय शब्द का निक्षेप तथा उसके भेद । ४४५,४४६. गौतम शब्द के निक्षेप तथा उसके भेद३८७. संजतीय अध्ययन का निरुक्त।
प्रभेद ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org