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________________ १. २. ३. ४. ५. ६,७. उत्तर शब्द के निक्षेप उत्तर और अनुत्तर का स्वरूप उत्तराध्ययन के अध्ययन का क्रम । उत्तराध्ययन के स्रोत । अध्ययन शब्द का निक्षेप तथा एकार्थक | अध्ययन शब्द की व्युत्पत्ति । आचार्य की दीपक से उपमा । भाव आय का स्वरूप तथा एकार्थक । १०. द्रव्यक्षपणा का स्वरूप | ११. भावक्षपणा का स्वरूप । श्रुतस्कन्ध के निक्षेप । १२. १३-१७. उत्तराध्ययन के छत्तीस अध्ययनों के नाम । १८-२६. अध्ययनों की विषयवस्तु । २७. प्रत्येक अध्ययन के व्याख्या की प्रतिज्ञा । पहला अध्ययन २८. विनयश्रुत के उपक्रम आदि द्वार । २८ । १, २. अध्ययन के चार प्रकार और विनयश्रुत के साथ उनकी संयोजना । ८. ९. २८।३, ४. अध्ययन शब्द का निरुक्त । श्रुत शब्द के निक्षेप । २९. ३०. संयोग शब्द के छह निक्षेप । ३१-६४. संयोग के भेद - प्रभेद । ६५. दुष्ट और आकीर्ण घोड़े के एकार्थक । दूसरा अध्ययन ६६-६८. परीषह के निक्षेप । ६९. भावपरीषह के द्वार | ७०. कर्मप्रवाद पूर्व में परीषहों का वर्णन । ७१, ७२. परीषहों का अधिकारी । ७३. परीषहों का समवतरण । ७४-७९. कर्मप्रकृति और परीषहों का सम्बन्ध | किस साधु में कितने परीषह ? ८१,८२. परीषह और नय । ८०. विषयानुक्रम Jain Education International ८३. ८४. ८५. ८६. ८७. 55,58. ९०. ९१. ९२. ९३. ९४. ११६. एक समय में की संख्या । उष्ण परीषह में अर्हन्नक की कथा । दंशमशक परीषह में सुमनभद्र मुनि की घटना । ९५-९८. वस्त्र परीषह में सोमदेव मुनि का उदाहरण । ९९,१००. रति- अरति परीषह का उदाहरण । १०१-१०६. स्त्री परीषह में मुनि स्थूलभद्र का उदाहरण । चर्या परीषह में संगम आचार्य का उदाहरण । १०८. नैधिकी परीषह में कुरुदत्त की कथा । १०९, ११०. शय्या परीषह की कथा का संकेत । १११. आक्रोश परीषह में अर्जुनमाली का कथानक । ११२ - ११४. वध परीषह में स्कन्दक आचार्य की कथा । ११५. याचनापरीषह में बलदेव तथा अलाभ परीषह १०७. में ढंढण मुनि का उदाहरण | रोग परीषह में ११७. ११८. ११९. १२०. 'एक व्यक्ति में उत्कृष्ट परीषहों परीषहों का कालमान । सनत्कुमार चक्रवर्ती द्वारा सात सौ वर्षों तक परीषह-सहन । परीषहों का क्षेत्र- विमर्श | उद्देश आदि तीन द्वारों का कथन । बावीस परीषहों की कथाओं का संकेत । क्षुधा परीषह में हस्तीभूति का उदाहरण । तृषा परीषह में धनशर्मा मुनि का कथानक । शीत परीषह में भद्रबाहु के शिष्यों का उदाहरण । उदाहरण । तृणस्पर्श परीषह के अन्तर्गत भ्रद्र मुनि की घटना । मैल परीषह में सुनंद श्रावक की कथा | सत्कार परीषह में इंद्रदत्त पुरोहित की कथा । प्रज्ञा परीषह का उदाहरण । १२१,१२२. ज्ञान परीषह के अन्तर्गत दो कथाओं का संकेत । For Private & Personal Use Only कालवैशिक मुनि का www.jainelibrary.org
SR No.001929
Book TitleNiryukti Panchak Part 3
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages856
LanguagePrakrit, Hind
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, G000, & G001
File Size15 MB
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