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६७०.
६६९/१. भोगजीवित, संयमजीवित आदि का वर्णन । साधु एवं गृहस्थ के प्रत्याख्यान का भेद । सामायिक में तीनों कालों का ग्रहण ।
६७१.
६७२.
६७३.
६७४.
६७५.
६७६.
६७७.
६७८.
६७९.
६८०.
अर्थविकल्पना एवं गुणभावना में पुनरुक्ति दोष नहीं ।
द्रव्य एवं भाव प्रतिक्रमण में कुम्भकार एवं मृगावती का उदाहरण ।
निंदा शब्द की व्याख्या, निक्षेप तथा उदाहरण ।
गर्हा शब्द की व्याख्या, निक्षेप तथा उदाहरण ।
द्रव्य एवं भाव व्युत्सर्ग में प्रसन्नचन्द्र राजर्षि का उदाहरण ।
सामायिक के कर्त्ता का वर्णन ।
ज्ञान एवं क्रिया नय में सभी नयों का समवतार ।
नय की परिभाषा ।
साधु की सर्वनशुद्ध परिभाषा ।
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